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Analytic philosophy | "विश्लेषणात्मक दर्शन | दर्शन की समकालीन धारा जो सम्प्रत्ययों के विश्लेषण को दर्शन का अभिष्ठ मानती है।" | प्रतिपुष्टि |
Civil philosophy | "नागरिक दर्शन | हॉब्ज़ (Hobbes) के अनुसार, दर्शन की वह शाखा जो उन सामाजिक निकायों (संस्था, संघ आदि) का अध्ययन करती है जिनका निर्माण मनुष्य परस्पर सहमत होकर करते हैं।" | प्रतिपुष्टि |
Common-Sense philosophy | "सामान्य बुद्धि दर्शन | जिसे सर्व-सामान्य के द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। जी. ई. मूर ने अपने दर्शन में इस मत की विशेष व्याख्या की है।" | प्रतिपुष्टि |
Critical philosophy | "1. समीक्षा दर्शन : कांट के दर्शन को कहते हैं, जिसमें बुद्धिवाद और अनुभववाद में समन्वय स्थापित किया जाता है। | 2. समीक्षात्मक : दर्शन का वह प्रकार जो संप्रत्ययों की तार्किक विवेचना को ही मुख्य कार्य मानता है जो परिकल्पनात्मक दर्शन (speculative philosophy) के विपरीत है।" | प्रतिपुष्टि |
First philosophy | "आद्य दर्शन | अरस्तू के अनुसार, (1) आदि कारणों तथा सत्ता के तात्विक गुणों का विवेचन करने वाला शास्त्र, तथा (2) विशेषतः ईश्वर मीमांसा।" | प्रतिपुष्टि |
Identity philosophy | "तादात्म्य-दर्शन, अभेद दर्शन | 1. सामान्यतः वह सिद्धांत जो तात्त्विक दृष्टि से चित् और अचित् में भेद नहीं मानता। 2. ज्ञानमीमांसीय दृष्टि से ज्ञाता और ज्ञेय में अंतर नहीं स्वीकार करता है। विशेषतः शेलिंग के दर्शन के लिए प्रयुक्त, जो प्रकृति और आत्मा को एक मानता है।" | प्रतिपुष्टि |
Immanence philosophy | "अन्तर्यामित्व-दर्शन | जर्मन दार्शनिक विल्हेल्म शपे (Wilhelm Schuppe, 1836-1913) का प्रत्ययवादी दर्शन जो परिच्छिन्न चेतना की अंतर्वस्तु में समाविष्ट सामान्य अंश को विश्व-चेतना का विषय मानता है, और फलतः विश्व को प्रत्येक परिच्छिन्न चेतना में ""अन्तर्व्याप्त"" मानता है।" | प्रतिपुष्टि |
Legal philosophy | "विधिमीमांस, विधि - दर्शन | कानून तथा न्याय से संबंधित दार्शनिक प्रश्नो का विवेचन - विश्लेषण करने वाला शास्त्र।" | प्रतिपुष्टि |
Mosaic philosophy | "मोजेक दर्शन | विश्व को मोज़ेक के समान विभिन्न रूप-रंगों वाले मौलिक तत्वों से निर्मित माननेवाला सिद्धांत।" | प्रतिपुष्टि |
Natural philosophy | "प्रकृतिदर्शन | प्रकृति का सामान्य अध्ययन करने वाला शास्त्र।" | प्रतिपुष्टि |
Obliteration philosophy | "अपमार्जन दर्शन | नव यथार्थवादियों द्वारा प्रत्ययवादी दर्शन को दिया गया अनादरसूचक नाम, जो उनके कथनानुसार वस्तु-जगत् के स्वतंत्र अस्तित्व का लोप ही कर देता है।" | प्रतिपुष्टि |
Patristic philosophy | "पादरी-दर्शन | ईसाई धर्म के पादरियों द्वारा प्रतिपादित दर्शन जो ईश्वर, विश्व से मानव के संबंध में एक तर्कसंगत दार्शनिक सिद्धांत प्रस्तुत करता है। ईसाई धर्म में प्रचलित पिता (father), पुत्र (son) एवं पवित्र (holy hhost) एवं पवित्र आत्मा (trinity) से संबंधित 'त्रयी' (trinity) के सिद्धांत का यह एक संशोधित रूप है।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy | "दर्शनशास्त्र | व्युत्पत्ति के अनुसार 'फिलॉसफी' शब्द दो शब्दों का योग है। फिल (phil) सोफिया (sophia)। 'सोफिया' का अर्थ है विद्या अथवा ज्ञान जबकि 'फाइलो' का अर्थ है अनुराग अथवा प्रेम। इस दृष्टि से 'फिलॉसफी' का अर्थ हुआ- 'ज्ञान के प्रति अनुराग'। साधारण और वैज्ञानिक संप्रत्ययों का विश्लेषण और संपरीक्षण करनेवाला तथा विशेष विज्ञानों की पूर्व-मान्यताओं की जाँच करके उनके परिणामों का समन्वय करनेवाला और विज्ञानों के क्षेत्रोें में न आनेवाले जगत्, समाज और व्यक्ति से संबंधित गहन प्रश्नों का विवेचन करनेवाला शास्त्र, जिसके अंदर तत्त्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, नीतिशास्त्र, सत्ताशास्त्र, तर्कशास्त्र, मूल्यमीमांसा, भाषा-दर्शन इत्यादि का समावेश होता है।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of Beauty | "सौंदर्य मीमांसा | सौंदर्य एवं सौंदर्य शास्त्रीय प्रत्ययों का दार्शनिक विवेचन, यथा : सौंदर्य का स्वरूप, उसके मापदंड, सौन्दर्यपरक मूल्य, रस-निष्पादन के सिद्धांत आदि। संगीत, नाटक, साहित्य एवं शिल्प-विद्या, ललित कलाएँ आदि भी इसके अंतर्गत हैं।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of Education | "शिक्षा-दर्शन | शिक्षा का स्वरूप, उसका उद्देश्य, समाज से उसका संबंध इत्यादि तात्त्विक प्रश्नों का विवेचन करनेवाला शास्त्र।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of History | "इतिहास-दर्शन | इतिहासकार के कार्य का तर्कशास्त्र और ज्ञानमीमांसा की दृष्टि से विवेचन करनेवाला शास्त्र।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of Language | "भाषा-दर्शन | दर्शनशास्त्र की वह विधा जिसमें सामान्य भाषा, उसकी वाक्य-संरचना, शब्दार्थ, शब्द प्रयोग आदि की विवेचना की जाती है। समकालीन पाश्चात्य दर्शन में गिल्बर्ट राइल, विटगेन्स्टाइन, आस्टिन आदि इसके प्रवर्तक हैं। भारतीय दर्शन में उक्त विधा भर्तृहरि के चिंतन में द्रष्टव्य है।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of Law | "विधि-दर्शन | विधि विषयक अवधारणाओं, समस्याओं, सिद्धांतों आदि का गहन चिंतन। जैसे : संकल्प-स्वातंत्रय, मूल-अधिकार, मूलकर्तव्य, दंड की अवधारणा एवं उसके सिद्धांत, मृत्यु-दंड का औचित्य, आत्महत्या एवमं 'दया-मृत्यु'(mercy-killing) इत्यादि।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of Religion | "धर्म-दर्शन | धर्म का दार्शनिक दृष्टि से अध्ययन करने वाला शास्त्र, जो धर्म की प्रकृति, उसका कार्य और मूल्य, धार्मिक ज्ञान का प्रामाण्य इत्यादि प्रश्नों का किसी धर्म-विशेष के प्रति पक्षपात न रखते हुए सामान्य रूप से विवेचन करता है।" | प्रतिपुष्टि |
philosophy Of Science | "विज्ञान-दर्शन | वैज्ञानिक अध्ययन के क्षेत्र में आने वाली तार्किक, ज्ञानमीमांसीय और तत्त्वमीमांसीय समस्याओं का अध्ययन करने वाला शास्त्र। इसमें वैज्ञानिक प्रणाली में प्रयुक्त 'पूर्व-मान्यताओं', 'प्राक्कल्पना', 'प्रयोग' इत्यादि पदों को परिभाषित किया जाता है और 'बल', 'दिक्', 'काल', 'ऊर्जा', 'द्रव्यमान' इत्यादि संप्रत्ययों का विश्लेषण किया जाता है। विज्ञानों के अभ्युपगमों की जाँच करना भी इसके क्षेत्र में आता है।" | प्रतिपुष्टि |
Political philosophy | "राजनीति-दर्शन | दर्शन की वह शाखा जो राजनीतिक जीवन क्रम, विशेषतः राज्य के स्वरूप, उत्पत्ति और मूल्य का विवेचन करती है।" | प्रतिपुष्टि |
Positive philosophy | "वस्तुपरक दर्शन | संत साइमन द्वारा प्रयुक्त। इसमें दर्शनशास्त्र को तथ्यपरक माना जाता है। शेलिंग और कोंत (Comte) के द्वारा स्वीकृत एवं परिवर्धित।" | प्रतिपुष्टि |
Pre-philosophy | "प्राग्दर्शन | हॉकिंग के अनुसार, दर्शन के विकास की प्रारंभिक अवस्था, जिसमें जीवन तथा विश्व से संबंधित विचारों एवं विश्वासों को बिना किसी आलोचना के स्वीकार कर लिया जाता था।" | प्रतिपुष्टि |
Process philosophy | "संभवन् दर्शन | दर्शन की वह प्रवृत्ति जिसमें कूटस्थ सत् की अपेक्षा संभवन अथवा क्रिया सातत्य पर बल दिया जाता है।" | प्रतिपुष्टि |
Speculative philosophy | "परिकल्पनात्मक दर्शन | समीक्षात्मक दर्शन के विपरीत, दर्शन का वह प्रकार जिसमें संप्रत्ययों का परीक्षण और विश्लेषण करने वाली आलोचनात्मक बुद्धि की अपेक्षा कल्पना-शक्ति से अधिक काम लिया जाता है।" | प्रतिपुष्टि |
Synthetic philosophy | "संश्लेषणात्मक दर्शनशास्त्र | विभिन्न दार्शनिक मत-मतान्तरों के मध्य सांमजस्य निरूपित करने वाली दर्शनशास्त्र की शाखा।" | प्रतिपुष्टि |
Transcendental philosophy | "प्रागनुभविक दर्शन | मुख्य रूप से, कांट का दार्शनिक सिद्धांत जिसमें अनुभव और ज्ञान में दत्त सामग्री की व्यवस्था या उसके संश्लेषण के लिए प्रागनुभविक मानसिक तत्त्वों (आकारों, पदार्थों इत्यादि) को आवश्यक माना गया है।" | प्रतिपुष्टि |